Increase production of paddy : धान भारत की प्रमुख फसलों में से एक है और लाखों किसानों की आजीविका इसी पर निर्भर करती है। लेकिन कई बार गलत तरीकों या जानकारी की कमी के कारण पैदावार कम हो जाती है। अगर किसान सही तकनीक और विधियों को अपनाएं, तो धान की पैदावार काफी बढ़ाई जा सकती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही आसान और प्रभावी तरीके जिन्हें अपनाकर किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
उन्नत किस्म के बीजों का चयन
धान की अच्छी पैदावार के लिए सबसे पहले उन्नत किस्म के बीजों का चयन करना जरूरी है। आजकल बाजार में कई ऐसी किस्में उपलब्ध हैं जो कम समय में अधिक उपज देती हैं और रोगों के प्रति सहनशील भी होती हैं। किसानों को अपने क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु के अनुसार बीज चुनने चाहिए।
खेत की अच्छी तैयारी,Increase production of paddy
धान की खेती के लिए खेत की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। खेत को अच्छी तरह जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। इससे पानी का संचार अच्छा होता है और धान के पौधों की जड़ें मजबूत बनती हैं। खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट डालकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है।
समय पर बुवाई या रोपाई
धान की बुवाई या रोपाई का सही समय बहुत महत्व रखता है। ज्यादातर क्षेत्रों में जून-जुलाई का महीना धान की रोपाई के लिए उपयुक्त माना जाता है। अगर बुवाई देर से की जाए, तो पैदावार पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
फसल की अवस्था | देने वाला पोषक तत्व | मात्रा और विधि |
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बुवाई के समय | फॉस्फोरस और पोटाश | बेसल डोज के रूप में खेत में मिलाएं |
20-25 दिन बाद | नाइट्रोजन (पहला भाग) | यूरिया का छिड़काव या टॉप ड्रेसिंग |
40-45 दिन बाद | नाइट्रोजन (दूसरा भाग), जिंक | स्प्रे के माध्यम से या मिट्टी में मिलाएं |
बालियाँ आने पर | पोटाश और बोरॉन | स्प्रे करें, ताकि दाने मजबूत बनें |
समय-समय पर देते रहे पोषक तत्व
धान के पौधों को वृद्धि के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे मुख्य पोषक तत्वों की कमी न होने दें।
सही सिंचाई प्रबंधन
धान को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन पानी की अधिकता भी नुकसानदायक हो सकती है। खेत में 2-3 इंच तक पानी रखना उचित होता है। अगर खेत में पानी जमा हो जाए, तो निकासी का प्रबंध करना चाहिए।
निड़ाई-गुड़ाई अच्छे तरीके से करें
खरपतवार धान की फसल के लिए सबसे बड़ी समस्या है। ये पौधों से पोषक तत्व और पानी चुरा लेते हैं, जिससे पैदावार कम हो जाती है। इसलिए निड़ाई-गुड़ाई करके खरपतवार को नियंत्रित करना जरूरी है।
- पहली निड़ाई: रोपाई के 15-20 दिन बाद
- दूसरी निड़ाई: 35-40 दिन बाद
निष्कर्ष
अगर किसान उपरोक्त तरीकों को अपनाएं, तो धान की पैदावार काफी बढ़ाई जा सकती है। सही बीज, समय पर सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन जैसी बातों का ध्यान रखकर किसान न केवल अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि लागत भी कम कर सकते हैं। इससे उनकी आय बढ़ेगी और खेती अधिक लाभदायक बनेगी।