Paddy Farming Tips: धान के खेतों में कैसे करें नाइट्रोजन का छिड़काव… 99 % किसान करते हैं पानी वाली ये गलती!

Paddy Farming Tips: धान की खेती भारत के कई हिस्सों में किसानों की आजीविका का मुख्य आधार है। खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां शाहजहांपुर जैसे क्षेत्रों में किसान महीन धान की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। धान की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए उर्वरकों का सही इस्तेमाल बहुत जरूरी है। लेकिन अगर किसान सफेद खाद यानी नाइट्रोजन का इस्तेमाल गलत तरीके से करते हैं, तो उनकी मेहनत सिर्फ 3 दिन में बर्बाद हो सकती है। गलत उर्वरक प्रबंधन न केवल फसल को कमजोर करता है, बल्कि खतरनाक कीटों और बीमारियों को भी न्योता देता है।

धान की खेती में उर्वरकों का महत्व

उर्वरक धान की फसल के लिए पोषण का काम करते हैं। ये मिट्टी में उन जरूरी तत्वों की पूर्ति करते हैं, जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी हैं। सही मात्रा में उर्वरक देने से पौधे मजबूत होते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और दाने चमकदार, वजनदार और गुणवत्तापूर्ण होते हैं। उर्वरक मिट्टी की संरचना को भी बेहतर बनाते हैं, जिससे खेत की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।

लेकिन उर्वरकों का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। खासकर नाइट्रोजन (सफेद खाद) का गलत इस्तेमाल फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। शाहजहांपुर के कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता बताते हैं कि धान की फसल में उर्वरकों की संतुलित मात्रा देना बहुत जरूरी है। इससे न केवल लागत कम होती है, बल्कि उत्पादन भी अच्छा मिलता है।

नाइट्रोजन की गलती: 3 दिन में बर्बादी

कई किसान धान की रोपाई के समय या तुरंत बाद नाइट्रोजन युक्त उर्वरक (जैसे यूरिया) का छिड़काव कर देते हैं। यह एक बड़ी गलती है। डॉ. गुप्ता के अनुसार, रोपाई के समय नाइट्रोजन देना सख्त मना है। इसका कारण यह है कि रोपाई के तुरंत बाद पौधे अभी पूरी तरह से स्थापित नहीं होते। इस समय नाइट्रोजन देने से पौधों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं, और पौधे हरे-भरे तो दिखते हैं, लेकिन उनकी आंतरिक मजबूती कम हो जाती है।

इसके अलावा, गलत समय पर नाइट्रोजन का इस्तेमाल करने से खतरनाक कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। नाइट्रोजन की अधिकता से पौधे मुलायम और रसीले हो जाते हैं, जो कीटों जैसे तना छेदक, भूरा पौधा फुदका, और हरी टिड्डी के लिए आसान शिकार बन जाते हैं। ये कीट सिर्फ 2-3 दिन में फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। नतीजा? मेहनत और लागत दोनों बर्बाद।

नाइट्रोजन का सही इस्तेमाल कैसे करें?

नाइट्रोजन का सही समय और सही तरीके से इस्तेमाल करना जरूरी है। यहाँ कुछ जरूरी बातें हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए:

  1. सही समय: धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद ही नाइट्रोजन का छिड़काव करें। इस समय पौधे की जड़ें खेत में अच्छी तरह जम चुकी होती हैं और वे उर्वरक को अच्छे से ग्रहण कर सकते हैं।

  2. नमी का ध्यान: नाइट्रोजन का छिड़काव हमेशा खेत में पर्याप्त नमी होने पर करें। अगर खेत सूखा है, तो उर्वरक का असर कम हो जाता है।

  3. सुबह या शाम का समय: नाइट्रोजन का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें। दिन में तेज धूप होने पर नाइट्रोजन उड़कर वायुमंडल में चली जाती है, जिससे उसका फायदा पौधों को नहीं मिलता।

  4. संतुलित मात्रा: ज्यादा नाइट्रोजन देना भी नुकसानदायक है। प्रति हेक्टेयर 120-150 किलो यूरिया की मात्रा पर्याप्त होती है, जिसे 2-3 बार में बांटकर देना चाहिए।

बेसल डोज: Paddy Farming Tips

रोपाई के समय किसान बेसल डोज के रूप में Npk , डीएपी, पोटाश, और जिंक का इस्तेमाल करते हैं। यह सही है, क्योंकि ये उर्वरक पौधों को शुरुआती पोषण देते हैं। लेकिन इस समय नाइट्रोजन देने से बचें। बेसल डोज में डीएपी (46% फॉस्फोरस) और पोटाश (60% पोटेशियम) की सही मात्रा मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है और पौधों की जड़ों को मजबूत करती है।

कीटों से बचाव के लिए क्या करें?

नाइट्रोजन की गलत मात्रा या गलत समय पर इस्तेमाल से कीटों का खतरा बढ़ता है। कीटों से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  • संतुलित उर्वरक प्रबंधन: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश का संतुलन बनाए रखें। ज्यादा नाइट्रोजन से बचें।

  • निगरानी: खेत में नियमित रूप से कीटों की जांच करें। शुरुआती अवस्था में कीटों को नियंत्रित करना आसान होता है।

  • जैविक उपाय: नीम के तेल या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें। ये पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं।

  • फसल चक्र: हर साल एक ही खेत में धान की खेती न करें। फसल चक्र अपनाने से कीटों का प्रकोप कम होता है।

धान की खेती के लिए टिप्स

नीचे दी गई तालिका में कुछ जरूरी टिप्स दिए गए हैं, जो धान की फसल को स्वस्थ और उत्पादक बनाने में मदद करेंगे:

टिप्स

विवरण

सही समय पर उर्वरक दें

रोपाई के 7-10 दिन बाद नाइट्रोजन का छिड़काव करें।

मिट्टी की जांच

उर्वरक देने से पहले मिट्टी की उर्वरता की जांच करवाएं।

नमी का ध्यान

उर्वरक देने से पहले खेत में पर्याप्त नमी सुनिश्चित करें।

कीटों की निगरानी

नियमित रूप से खेत का निरीक्षण करें और कीटों को शुरुआत में ही नियंत्रित करें।

जैविक उर्वरक

रासायनिक उर्वरकों के साथ गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट का भी इस्तेमाल करें।

संतुलित मात्रा

प्रति हेक्टेयर 120-150 किलो यूरिया, 50-60 किलो डीएपी, और 40-50 किलो पोटाश दें।

निष्कर्ष

धान की खेती में नाइट्रोजन का सही इस्तेमाल फसल की सफलता की कुंजी है। गलत समय या गलत मात्रा में नाइट्रोजन देने से न केवल फसल कमजोर होती है, बल्कि कीटों और बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है। किसानों को चाहिए कि वे उर्वरकों का इस्तेमाल वैज्ञानिक तरीके से करें और विशेषज्ञों की सलाह लें। कृषि विज्ञान केंद्र जैसे संस्थानों से समय-समय पर मार्गदर्शन लेना भी फायदेमंद होता है। सही उर्वरक प्रबंधन और कीट नियंत्रण के साथ किसान न केवल अपनी फसल को बचा सकते हैं, बल्कि अच्छी पैदावार और मुनाफा भी कमा सकते हैं।

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